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20 October, 2012

तन्हाई ढल गई . . . .

खुर्शीद ऐ मसर्रत ,
जो आया है फलक पर,
 "शज़र"

आज,
तमाम शब् ऐ गम ओ तन्हाई ढल गई

सोहबत में चाँद आया. . . .

मेरी चंद लम्हों की खता थी ,
उन्हें बरसों तक का गिला रहा ,

मोहब्बत ही लुटाई  हरदम हमने,
पर मिली बस नफरत, ये मेरी नेकियों का सिला रहा,

गैरों से भी पेश आया अपनो की तरह, ताउम्र ,
पर हर अपना मुझसे अजनबियो से रहा,

जमाने के वास्ते मेरे लबों पर बहारे थी हरदम,
पर उनके चेहरों पर सदा गुल ऐ नाराजगी खिला रहा,

मेने तो लगाया हर किसी को दिल से अपने ,
गम ये के, बस जारी बेरुखी का सिलसिला रहा,

अब नहीं होते यूँ उदास "शज़र"
सोचो सोहबत में चाँद आया , जो खुर्शीद  ऐ राबता ढला रहा.

18 September, 2012

खाली तख्ती.....


तुमने  इस   तख्ती  पर  चंद  लफ्ज़ लिखने की जो फरमाइश की,

फिर हर शक्स ने कुछ न कुछ लिखने की आजमाइश की ,

किसी ने कुछ तलाश कर लिखा , किसी ने कुछ पैदाइश की 

बस कुछ ही बाकी रह गए , जिन्होंने जज्बात ऐ दिल की नुमाइश न की,

11 April, 2012

तलाश है ..

तन्हा हूँ राहो पर  एक काफिले की तलाश है 

गैर भी मिले अपने बनकर,
मिले कोई अपना भी इस तरह,, ऐसे किसी अपने की तलाश है 

गमो ने दी काफी मुस्कुराहटें,
ला दे जो अश्क ,ऐसी एक ख़ुशी की तलाश है 

हर टूटे ख्वाब ने राहों पर लड़खड़ाने मजबूर किया,
पूरा होकर संभाले ऐसे किसी ख्वाब की तलाश है 

जीते जी तो कई ने मार डाला,
मरते वक़्त पर सांस दे, ऐसे किसी दमसाज़ (दोस्त)  की तलाश है ,

ज़माने को तो पहचाना खूब,
खुद को पहचान सकू  जिस वक़्त,
उस लम्हे की तलाश है .. 
A.R.Nema12/06/2011


ज़िन्दगी ने दिए है...

की थी ढेरों उमीदे मैंने,
और किये थे अपनों ने वादे कई सारे ,

पर उठे जो तूफां मेरी हयात में,
ज़माने ने दिखाए रंग अपने, कई सारे,

वादे तोड़े, उम्मीदे तोड़ी,
और अहवाब(दोस्त) हुए दूर,
एक-एक करके सारे ,

खुश हूँ मगर फिर भी,
क्यों की बेरंग ही सही पर इस ज़िन्दगी ने दिए है 
सबक और जीने के हुनर कई सारे. ! !
A .R .Nema  08/04/2011