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21 October, 2016

लम्हे तन्हाई के..

जब से गया वो दुनिया छोड़कर
हर लम्हे मे तन्हाई हैं,

आंख बंद हुई तो उसके नज़ारे हैं
जो खुली तो अश्को की झील समाई हैं,

अब मेरी महफिलो मे जश्न की गूंज नही,
वीरानियो कि परछाईं हैं,

मुझे लिखना नही आता यारो
बस उसकी यादों ने आज हमसे कलम चलवायी है..!

© अंकित आर नेमा "शज़र".

09 August, 2016

मेरे शहर......


हरदम कुछ पाने की जुस्तजू है
के मुसलसल सफ़र किये जा रहा हूँ
अब भूल ना जाना ,तू मुझे कहीं
ऐ मेरे शहर, के फिर एक दफा तुझसे दूर जा रहा हूँ.

है सवालात बहुत तेरे बन्दों से
की जबाबों के खातिर एक अर्ज़ी दिए जा रहा हूँ
ऐ मेरे शहर, के फिर एक दफा तुझसे दूर जा रहा हूँ

है कुछ, बड़े अजीज अहबाब मेरे हो न कोई तक़लीफ़ उन्हें
बस इतनी सी जिम्मेदारी दिए जा रहा हूँ
ऐ मेरे शहर, के फिर एक दफा तुझसे दूर जा रहा हूँ

गम से भरे तो हैं कई पन्ने यहाँ
लिख कुछ तहरीरे ख़ुशी की भी
के इतनी इल्तज़ा किये जा रहा हूँ
ऐ मेरे शहर, के फिर एक दफा तुझसे दूर जा रहा हूँ

देते रह यूँ ही सबो को बहाने तबस्सुम के
के चश्मेतार तो में लिये जा रहा हूँ
ऐ मेरे शहर, के फिर एक दफा तुझसे दूर जा रहा हूँ.
© अंकित आर नेमा.

24 July, 2014

गीत गुनगुनाये थे...

आखिर कर गया वो भी दूर जाने की बाते
जिसने कभी खुद आकर हाथ मिलाये थे

दे गया आँखों को अश्को की सौगात
जिसने खुशिया देकर कभी पलक भिगाए थे

ये रातों की तन्हाइयाँ कैसे गुजरेंगी उसके बिन
जिसके संग महफिलो में कभी गीत गुनगुनाये थे.

03 May, 2014

एक दिन में कितने साल बीत गए

दिन बीते,
महीने बीते,
फिर एक दिन में कल कितने साल बीत गए..
 
कभी हार गए, कभी जीत गए,
ख़ुशी से कभी आँखे छलकी, गम में कभी हम भीग गए,
फिर एक दिन में कल कितने साल बीत गए,
 
कई यार रूठ गए,
कई साथ छूट गए,
कभी ख़्वाब टूट गए, फिर एक दिन में कल कितने साल बीत गए

12 December, 2013

न करो परवाह दूरियो की ....

न करो परवाह दूरीयों की ,
ये ताल्लुक दिल से दिल का हर दुरी मिटा गया है

ज़माने को कर दिया है रोशन आज इतना के वो महताब भी शर्मा गया है.