सूना -सूना  सा  मेरा   काफिला  है  .
खाली  ये  दिन  मेरे ,  तन्हा -तन्हा  सी  हर  रात  है ,
जीने  की  हसरत  दिल  में  और  पल -पल  मौत  मेरे  साथ  है ,
ये  कैसी  हयात  है ..
हर   ख्वाब  टूटा  सा  ,
हर  यार  रूठा  सा  ,
अपनों  की  शक्ल   में  मिला   जो  , वो  हर  शख्स   झूठा    सा ,
 हर  कदम  पर दुसवारियो की  बिसात  है  .
ये  कैसी  हयात  है ..
अपना  हक  जताने  को -
ये  अश्क  , ये  दर्द  ऐ  दिल  और  जख्मो  की  जागीर  बस  साथ  है , ,
कब्रिस्तान  में   बैठकर  जी  ही  रहे  बस  ख़ाक  होने  की  बात  है ..
ये  कैसी हयात  है ..