जब भी लगता है, यारो की सूरत साया ऐ शज़र में हूँ, यकीन हो चलता है , दिन बहार के है ...
वरना
दिन पतझड़ के हो तो शज़रों के साए नज़र कहाँ आते है ..
वरना
दिन पतझड़ के हो तो शज़रों के साए नज़र कहाँ आते है ..
written By.Ankit R Nema