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30 December, 2011

जो ओंठो को दबा कर......


जो ओंठो को  दबा  कर  निगाहों  से  बात  करते  है,
 ये  उनके   बात  करने के  हसीन  अंदाज़  होते  है ,
उनके  जिस्म  नाम  की  कब्र   में  दफ़न  न  जाने  कितने   राज  होते  है! 


कहते है ,
जो  ओंठो  पर  रखते  है   ख़ामोशी  वो हुनरमंद  या फिर  चालबाज़  होते  है  ..

जिस दिन पाँ ली मंजिल मैंने........


अब्र  अभी  आसमान  पर  छाए  तो   है  मगर  बरसते  नहीं,
जिस  दिन  पाँ  ली  मंजिल  मैंने, उस दिन दिल  के  आसमान पर  खुशियों  के  लाखो  अब्र  सजाऊंगा  
चलेंगी  आंधिया  मुस्कराहट  की  आँखों  से  बारिश  गिराऊंगा...

17 December, 2011

जब भी लगता है.........

जब  भी  लगता  है,  यारो  की  सूरत  साया  ऐ  शज़र  में  हूँ, यकीन  हो  चलता  है , दिन  बहार  के  है ...



वरना

दिन  पतझड़   के  हो  तो   शज़रों   के  साए  नज़र  कहाँ   आते  है ..


05 December, 2011

.ये कैसी हयात है ..

सूना -सूना  सा  मेरा   काफिला  है  .
खाली  ये  दिन  मेरे ,  तन्हा -तन्हा  सी  हर  रात  है ,
जीने  की  हसरत  दिल  में  और  पल -पल  मौत  मेरे  साथ  है ,

ये  कैसी  हयात  है ..

हर   ख्वाब  टूटा  सा  ,
हर  यार  रूठा  सा  ,
अपनों  की  शक्ल   में  मिला   जो  , वो  हर  शख्स   झूठा    सा ,
 हर  कदम  पर दुसवारियो की  बिसात  है  .

ये  कैसी  हयात  है ..

अपना  हक  जताने  को -
ये  अश्क  , ये  दर्द  ऐ  दिल  और  जख्मो  की  जागीर  बस  साथ  है , ,
कब्रिस्तान  में   बैठकर  जी  ही  रहे  बस  ख़ाक  होने  की  बात  है ..

ये  कैसी हयात  है ..

01 December, 2011

जब तक सितम सहते रहे .................


जब  तक  सितम  सहते  रहे  यारों  की  बस्ती  में
चैन  ओ  अमन  था ....




इक दिन  ....




जरा  सी  उफ़  क्या  की  जलजले  आ  गए ...


   written By.Ankit R Nema