जब से गया वो दुनिया छोड़कर
हर लम्हे मे तन्हाई हैं,
आंख बंद हुई तो उसके नज़ारे हैं
जो खुली तो अश्को की झील समाई हैं,
अब मेरी महफिलो मे जश्न की गूंज नही,
वीरानियो कि परछाईं हैं,
मुझे लिखना नही आता यारो
बस उसकी यादों ने आज हमसे कलम चलवायी है..!
© अंकित आर नेमा "शज़र".
हर लम्हे मे तन्हाई हैं,
आंख बंद हुई तो उसके नज़ारे हैं
जो खुली तो अश्को की झील समाई हैं,
अब मेरी महफिलो मे जश्न की गूंज नही,
वीरानियो कि परछाईं हैं,
मुझे लिखना नही आता यारो
बस उसकी यादों ने आज हमसे कलम चलवायी है..!
© अंकित आर नेमा "शज़र".