आखिर कर गया वो भी दूर जाने की बाते
जिसने कभी खुद आकर हाथ मिलाये थे
दे गया आँखों को अश्को की सौगात
जिसने खुशिया देकर कभी पलक भिगाए थे
ये रातों की तन्हाइयाँ कैसे गुजरेंगी उसके बिन
जिसके संग महफिलो में कभी गीत गुनगुनाये थे. 
आखिर कर गया वो भी दूर जाने की बाते
जिसने कभी खुद आकर हाथ मिलाये थे
दे गया आँखों को अश्को की सौगात
जिसने खुशिया देकर कभी पलक भिगाए थे
ये रातों की तन्हाइयाँ कैसे गुजरेंगी उसके बिन
जिसके संग महफिलो में कभी गीत गुनगुनाये थे. 
न करो परवाह दूरीयों की , 
ये ताल्लुक दिल से दिल का हर दुरी मिटा गया है 
ज़माने को कर दिया है रोशन आज इतना के वो महताब भी शर्मा गया है.