कदम फर्श पर निगाहे अर्श पर लगाये बैठे है
यादे ऐ माजी , अरमान ऐ मुस्तकबिल दोनों दिल में सजाये बैठें है
कदम फर्श पर निगाहे अर्श पर लगाये बैठे है
यादे ऐ माजी , अरमान ऐ मुस्तकबिल दोनों दिल में सजाये बैठें है
कुछ जुस्तजू है
बाकी , के पूरा करने की चाहत में आँखों को जगाये बैंठें है
कुछ जुस्तजू है
कहने लिखने को बहुत कुछ है बाकी
कहने लिखने को बहुत कुछ है बाकी
मगर "शज़र" कलम ओ जुबान पर लगाम लगाये बैठें है
meanings
मगर "शज़र" कलम ओ जुबान पर लगाम लगाये बैठें है
meanings
maaji- past
mustaqbil- future.
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