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06 November, 2012

लगाम लगाये बैठें है .......





कदम फर्श पर निगाहे अर्श पर लगाये बैठे है

यादे ऐ माजी , अरमान ऐ मुस्तकबिल दोनों दिल में सजाये बैठें है

कुछ जुस्तजू है 

बाकी , के पूरा करने की चाहत में आँखों को जगाये बैंठें है 

कहने लिखने को बहुत कुछ है बाकी
मगर "शज़र" कलम ओ जुबान पर लगाम लगाये बैठें है 

meanings 

maaji- past
mustaqbil- future.


"

20 October, 2012

तन्हाई ढल गई . . . .

खुर्शीद ऐ मसर्रत ,
जो आया है फलक पर,
 "शज़र"

आज,
तमाम शब् ऐ गम ओ तन्हाई ढल गई

सोहबत में चाँद आया. . . .

मेरी चंद लम्हों की खता थी ,
उन्हें बरसों तक का गिला रहा ,

मोहब्बत ही लुटाई  हरदम हमने,
पर मिली बस नफरत, ये मेरी नेकियों का सिला रहा,

गैरों से भी पेश आया अपनो की तरह, ताउम्र ,
पर हर अपना मुझसे अजनबियो से रहा,

जमाने के वास्ते मेरे लबों पर बहारे थी हरदम,
पर उनके चेहरों पर सदा गुल ऐ नाराजगी खिला रहा,

मेने तो लगाया हर किसी को दिल से अपने ,
गम ये के, बस जारी बेरुखी का सिलसिला रहा,

अब नहीं होते यूँ उदास "शज़र"
सोचो सोहबत में चाँद आया , जो खुर्शीद  ऐ राबता ढला रहा.

11 April, 2012

तलाश है ..

तन्हा हूँ राहो पर  एक काफिले की तलाश है 

गैर भी मिले अपने बनकर,
मिले कोई अपना भी इस तरह,, ऐसे किसी अपने की तलाश है 

गमो ने दी काफी मुस्कुराहटें,
ला दे जो अश्क ,ऐसी एक ख़ुशी की तलाश है 

हर टूटे ख्वाब ने राहों पर लड़खड़ाने मजबूर किया,
पूरा होकर संभाले ऐसे किसी ख्वाब की तलाश है 

जीते जी तो कई ने मार डाला,
मरते वक़्त पर सांस दे, ऐसे किसी दमसाज़ (दोस्त)  की तलाश है ,

ज़माने को तो पहचाना खूब,
खुद को पहचान सकू  जिस वक़्त,
उस लम्हे की तलाश है .. 
A.R.Nema12/06/2011


ज़िन्दगी ने दिए है...

की थी ढेरों उमीदे मैंने,
और किये थे अपनों ने वादे कई सारे ,

पर उठे जो तूफां मेरी हयात में,
ज़माने ने दिखाए रंग अपने, कई सारे,

वादे तोड़े, उम्मीदे तोड़ी,
और अहवाब(दोस्त) हुए दूर,
एक-एक करके सारे ,

खुश हूँ मगर फिर भी,
क्यों की बेरंग ही सही पर इस ज़िन्दगी ने दिए है 
सबक और जीने के हुनर कई सारे. ! !
A .R .Nema  08/04/2011

यूँ ही किसी लम्हे....

ज़िन्दगी के किसी लम्हे में यूँ कारनामा हो जाता है 
राह पे भटकते मुसाफिर को, 
यूँ ही किसी लम्हे आशियाना मिल जाता है 

गर्दिश का दौर करता है 
झुककर सजदा, 
दुशवरिया खुद पर रोती है,

झूमकर आँखों में 
ख़ुशी के पैमाने छलकते है ,
ओंठो पर मुस्कराहट अटखेलिया करती है 

झूमता है दिल यारो!
जब हर जर्रे पर 
खुदा की रहमत बरसती है,,
A.R.Nema 15/02/2011

एहतियाज ऐ फुरक़त की तरह ..

मालिक तूने शक्ल ऐ यार
मुझे लिखा तो कई के मुक़द्दर में 


मगर मलाल के !!

सिर्फ  एहतियाज  ऐ फुरक़त की तरह ( अकेलेपन की जरुरत )!!
A.R.Nema  30/11/2011

.सब खुदा की रहमत है

कलम साथ नहीं दे रही 
फिर भी आज बहुत कुछ लिखने को दिल करता है 

गुज़रा वक़्त पीछे छूटा 
पर यादो मे दिल आज भी जलता है 

अजार करे आजमाइश सफ़र रोकने की,
 पर हर कदम अब रुकने से इन्कार करता है 

सारी हसरते अधूरी,
पर चश्म का हर हिस्सा आज भी ख्वाब देखा करता है ,

ख़ुशी गम जो भी मिले ,अब कुबूल 
के सब खुदा ही दिया करता है .!!  
                A.R.Nema   01/10/२०११



एक मयखाना है मेरी हयात..!!

कभी -कभी लगता है, 
एक  मयखाना  है मेरी हयात (ज़िन्दगी )

लबों की प्यास बुझाने को,
बदहकश(शराबी) , मेरे अश्को का जाम बनाते है .

और फिर आखिर मे,
 मुझे ही पैमाने की सूरत तोड़कर चले जाते है .!!    

१८/०९/२०११ A.R. Nema

चलने के हुनर आये है.....

ठोंकर  खा-खा कर गिरे है इतना!
 के अब चलने के हुनर आये है,

जीत कर हारते थे कभी ,
अब हारकर जीतना सीख आये है,

समन्दर से प्यासा लौटे थे कभी ,
के अब आँखों में ही समन्दर भर लाये है,

जला कर देखे तो! दुशवारिया मुझे ,
 के अब हम भी लिबास ऐ बारिश पहन कर आये है
16/09/2011 A.R.Nema.!!!

22 March, 2012

शान ऐ मौत

ताउम्र जलो तन्हाई की आग मे, नहीं आता कोई बुझाने को.,
जरा बुझने दो साँसों की शमा, काफिला चलेगा पीछे फिर से आग लगाने को,

एक क़दम जमीन नहीं मिलती कदम बढ़ाने को,
थमने दो साँसे, दो गज जमीन आएगी हिस्से ख़ाक में मिलाने को ,

एक कन्धा भी नहीं हासिल, अश्क बहाने को 
 गुजरेंगे जब , पीछे दौड़ेगा जमाना काँधे पर उठाने को ,

नहीं शामिल मेरे गम में कोई ,
 आने दो दिन रुखसती का, 
मायूस चेहरे के संग आएगा दुश्मन भी,
जनाजे पर, अश्क गिराने को 


ये लम्हे अजीब है .........

वक़्त के ये लम्हे कितने अजीब है ,
जो दिल के करीब है, उनसे ही फासले नसीब है

देखकर मुस्कुराना ,फिर नज़रे चुरा कर सितम ढाना,
निभाते है ताल्लुकात यूँ जैसे रकीब है ,

हर जख्म को भूल जाना,दर्द सहना और आसूं पी जाना,
फिर न करना शिकवा कभी, के अपनी तहज़ीब है 


न जाने कब एक डौर में गुंथे रिश्तों के मोती ,
जो अब तक बेतरतीब है,


न कोई गलती ,
न कोई सितम फिर भी हासिल सजाये .
क्या करे???


वक़्त के ये लम्हे ही अजीब है 
ये फासले हमें नसीब है !!