कलम साथ नहीं दे रही 
फिर भी आज बहुत कुछ लिखने को दिल करता है 
गुज़रा वक़्त पीछे छूटा 
पर यादो मे दिल आज भी जलता है 
अजार करे आजमाइश सफ़र रोकने की,
 पर हर कदम अब रुकने से इन्कार करता है 
सारी हसरते अधूरी,
पर चश्म का हर हिस्सा आज भी ख्वाब देखा करता है ,
ख़ुशी गम जो भी मिले ,अब कुबूल 
के सब खुदा ही दिया करता है .!!  
                A.R.Nema   01/10/२०११
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