की थी ढेरों उमीदे मैंने,
और किये थे अपनों ने वादे कई सारे ,
पर उठे जो तूफां मेरी हयात में,
ज़माने ने दिखाए रंग अपने, कई सारे,
वादे तोड़े, उम्मीदे तोड़ी,
और अहवाब(दोस्त) हुए दूर,
एक-एक करके सारे ,
खुश हूँ मगर फिर भी,
क्यों की बेरंग ही सही पर इस ज़िन्दगी ने दिए है
सबक और जीने के हुनर कई सारे. ! !
A .R .Nema 08/04/2011
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