वक़्त के ये लम्हे कितने अजीब है ,
जो दिल के करीब है, उनसे ही फासले नसीब है
देखकर मुस्कुराना ,फिर नज़रे चुरा कर सितम ढाना,
निभाते है ताल्लुकात यूँ जैसे रकीब है ,
हर जख्म को भूल जाना,दर्द सहना और आसूं पी जाना,
फिर न करना शिकवा कभी, के अपनी तहज़ीब है
न जाने कब एक डौर में गुंथे रिश्तों के मोती ,
जो अब तक बेतरतीब है,
न कोई गलती ,
न कोई सितम फिर भी हासिल सजाये .
क्या करे???
वक़्त के ये लम्हे ही अजीब है
ये फासले हमें नसीब है !!
जो दिल के करीब है, उनसे ही फासले नसीब है
देखकर मुस्कुराना ,फिर नज़रे चुरा कर सितम ढाना,
निभाते है ताल्लुकात यूँ जैसे रकीब है ,
हर जख्म को भूल जाना,दर्द सहना और आसूं पी जाना,
फिर न करना शिकवा कभी, के अपनी तहज़ीब है
न जाने कब एक डौर में गुंथे रिश्तों के मोती ,
जो अब तक बेतरतीब है,
न कोई गलती ,
न कोई सितम फिर भी हासिल सजाये .
क्या करे???
वक़्त के ये लम्हे ही अजीब है
ये फासले हमें नसीब है !!