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10 January, 2012

सफ़र ऐ मंजिल मे हूँ कहाँ????????

कतरा-कतरा कर, 
हौसलों का ये समंदर भर रहा हूँ..


दुस्वारिया ओ अजार की गर्द  को दरकिनार कर , 
ख्वाब देखने की आजमाइश कर रहा हूँ ..


कुछ धीरे ही सही , 
पर एक एक कदम कर,
आगे तो बढ़ रहा हूँ ..


सफ़र ऐ मंजिल मे हूँ कहाँ ??
ये तो नहीं मालूम ,
पर हर दिन गुजरी गाह से आगे बढ़ रहा हूँ .....

05 January, 2012

ओ सुनो, ग़ज़ल लिखने वाले ...

ओ  सुनो, ग़ज़ल लिखने वाले .......

जब स्याही कम हो जाये, तब तुम कलम हमारी ले जाना ..

जब अल्फाजो का दरख़्त सूखे, तो बहार मुझसे ले जाना ..

पसंद है, गजलों की बारिश मुझको,

जब साफ़ हो, आसमां तेरी गजलों का,

तब बारिश करने को,  कुछ अब्र- ऐ- दर्द मुंझ से ले जाना "

04 January, 2012

ज़िन्दगी ये अपनी शज़र हो गई .........

ज़िन्दगी  ये  अपनी  शज़र  हो  गई ,
 रफाकात, रफाकात  ना  रही,  के  परिंदा  हो   गई .

जो  आये  मौसम  बहार  के,  डालियाँ  भर  गई ,
 आते  ही   मौसम  ऐ  पतझड़ , यार  हुए  यु  गम  के जैसे  सहर    हो   गई ..

एक गलती की ... ..

जहाँ  से गुजरे , भले ही गुलाब न खिला सके .
पर कुछ खार जरुर कम करते गये,

लाख नेकियाँ कर अजनबी थे ,
जमाने में,

एक गलती की ...

फिर अपनी बदनामी के चर्चे ,
ज़माने वाले करते गए .......

जिंदा हूँ मैं .....

ऐ ज़माने,
ना दे गम मुझको इतना,
के गम की बस्ती का ही बाशिंदा हूँ मैं,,

ना बिछा  खार राहो पर,
 उड़ना आता है मुझको,
के आसमान से टूट कर गिरा  परिंदा हूँ मैं,,

सोच कर सितम करना ज़माने वालो मुझपे,
के तेरे ही बादशाह का बन्दा हु मैं,,

मेरी तन्हाई और ख़ामोशी पर,
खुश मत हो ज़माने, मरा नहीं, 
के अभी  जिंदा हूँ  मैं