ओ सुनो, ग़ज़ल लिखने वाले .......
जब स्याही कम हो जाये, तब तुम कलम हमारी ले जाना ..
जब अल्फाजो का दरख़्त सूखे, तो बहार मुझसे ले जाना ..
पसंद है, गजलों की बारिश मुझको,
जब साफ़ हो, आसमां तेरी गजलों का,
तब बारिश करने को, कुछ अब्र- ऐ- दर्द मुंझ से ले जाना "
जब स्याही कम हो जाये, तब तुम कलम हमारी ले जाना ..
जब अल्फाजो का दरख़्त सूखे, तो बहार मुझसे ले जाना ..
पसंद है, गजलों की बारिश मुझको,
जब साफ़ हो, आसमां तेरी गजलों का,
तब बारिश करने को, कुछ अब्र- ऐ- दर्द मुंझ से ले जाना "
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