किताब का वो इक पन्ना ,
भीगने की हसरत लिए,
आज फिर मेरी आँखों तले आया है,
अँधेरी रात मे, कराने दीदार अपना ,
यादो के चिराग भी साथ ले आया है,
कुछ इबारते शरारतों में भीगी,
के कुछ गम में डूबी ,
कहु के , सितम ढाने के सामान साथ ले आया है,
भीगते भीगते, बह न जाए तहरीर कही के,
साथ अपने वो छतरी ले आया है..
भीगने की हसरत लिए,
आज फिर मेरी आँखों तले आया है,
अँधेरी रात मे, कराने दीदार अपना ,
यादो के चिराग भी साथ ले आया है,
कुछ इबारते शरारतों में भीगी,
के कुछ गम में डूबी ,
कहु के , सितम ढाने के सामान साथ ले आया है,
भीगते भीगते, बह न जाए तहरीर कही के,
साथ अपने वो छतरी ले आया है..
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