अक्सर इन्सान कहता है,
मेरी हयात(जिंदगी) ....
"एक खुली किताब की तरह है "
क्या कभी किसी ने ,
खुली किताब को,
दो पन्नो से ज्यादा देखा है???
जमाने का हर शक्स ,
खुद में पोशीदा नज़र आता है.
क्या तुमने,
किसी शक्स की, किताब में लिखे ,
"हर एक अफसाने का सच देखा है"'???
मेरी हयात(जिंदगी) ....
"एक खुली किताब की तरह है "
क्या कभी किसी ने ,
खुली किताब को,
दो पन्नो से ज्यादा देखा है???
जमाने का हर शक्स ,
खुद में पोशीदा नज़र आता है.
क्या तुमने,
किसी शक्स की, किताब में लिखे ,
"हर एक अफसाने का सच देखा है"'???
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