सितम ढाने को बड़ी मुद्दत बाद ,
आज ये शाम आयी है ...
सुकून की ठंडक थी,
की दिल को जलाने, यादों के अंगारे साथ लायी है.
सुहानी धूप खिली थी आंखो मे,
ये काली घटायों को साथ लायी है,
बड़ी मुश्किल से जोड़ा है, खुदको ,
ये फिर बिखेरने आयी हैं..
मेरा खुश होकर जीना गवारा नहीं ,
तभी तन्हाई के घूँट पिलाने आयी है.!!
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