एक जमाना बीता, हर किसी को मनाने में,
पर हर किसी को सुकून मिला तो,
सिर्फ मुझसे रूठ जाने में..
ख़ुशी देनी चाही जिन्हें हमने,
उन्हें मिली ख़ुशी तो,
बस हमे ग़मगीन करके जाने में..
हर एक अश्क का कतरा छीन लिया,
जिनकी आँखों से, उन्हें दर्द भी न हुआ ,
मुझे रोता छोड़ जाने में ..
साथ दिया जिनका हर लम्हे पर,
एक भूल क्या की, उन्हें तरस भी न आया,
हमें अकेला कर जाने में ..
अब तो डरते है हम, किसी को भी अपना बनाने में,
क्यूंकि एक लम्हा भी नहीं लगता किसी को.
मुझे पराया कर जाने में....
पर हर किसी को सुकून मिला तो,
सिर्फ मुझसे रूठ जाने में..
ख़ुशी देनी चाही जिन्हें हमने,
उन्हें मिली ख़ुशी तो,
बस हमे ग़मगीन करके जाने में..
हर एक अश्क का कतरा छीन लिया,
जिनकी आँखों से, उन्हें दर्द भी न हुआ ,
मुझे रोता छोड़ जाने में ..
साथ दिया जिनका हर लम्हे पर,
एक भूल क्या की, उन्हें तरस भी न आया,
हमें अकेला कर जाने में ..
अब तो डरते है हम, किसी को भी अपना बनाने में,
क्यूंकि एक लम्हा भी नहीं लगता किसी को.
मुझे पराया कर जाने में....
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