दुस्वरियो के सफ़र में,
कोई भी हमसफ़र नहीं मिलता,
हर लम्हा भीगती है पलके,
पर अश्क पोछने को एक हाथ भी नहीं मिलता,
टूटकर बिखरता है ,
ये जिस्म हर कदम पर,
लेकिन आराम की खातिर एक दरख़्त भी नहीं मिलता,
जख्म तो है हर कदम पर यहाँ,
पर दे जो मलहम, ऐसा कोई भी नहीं मिलता ,
हर शाम तन्हा और शब् तो काली है,
लेकिन यहाँ खुबसूरत सवेरा नहीं मिलता,
ऐसी, ये हयात के गम तो है,
मगर जब तक चलती है साँस,
यहाँ ख़ुशी का एक कतरा भी नहीं मिलता.!!
कोई भी हमसफ़र नहीं मिलता,
हर लम्हा भीगती है पलके,
पर अश्क पोछने को एक हाथ भी नहीं मिलता,
टूटकर बिखरता है ,
ये जिस्म हर कदम पर,
लेकिन आराम की खातिर एक दरख़्त भी नहीं मिलता,
जख्म तो है हर कदम पर यहाँ,
पर दे जो मलहम, ऐसा कोई भी नहीं मिलता ,
हर शाम तन्हा और शब् तो काली है,
लेकिन यहाँ खुबसूरत सवेरा नहीं मिलता,
ऐसी, ये हयात के गम तो है,
मगर जब तक चलती है साँस,
यहाँ ख़ुशी का एक कतरा भी नहीं मिलता.!!