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17 January, 2012

हमसफ़र नहीं मिलता,...

दुस्वरियो के सफ़र में,
 कोई भी हमसफ़र नहीं मिलता,

हर लम्हा भीगती है पलके,
पर अश्क पोछने को एक हाथ भी नहीं मिलता,

टूटकर बिखरता है ,
ये जिस्म हर कदम पर,
लेकिन आराम की खातिर एक दरख़्त भी नहीं मिलता,

जख्म तो है हर कदम पर यहाँ,
पर दे जो मलहम, ऐसा कोई भी नहीं मिलता ,

हर शाम तन्हा और शब् तो काली है,
लेकिन यहाँ खुबसूरत सवेरा नहीं मिलता,

ऐसी, ये हयात के गम तो है,
मगर जब तक चलती है साँस,
यहाँ ख़ुशी का एक कतरा भी नहीं मिलता.!!

एक लम्हा भी नहीं लगता,,,,

एक  जमाना  बीता, हर किसी को मनाने में,
पर हर किसी को सुकून मिला तो,
सिर्फ मुझसे रूठ  जाने में..

ख़ुशी देनी चाही जिन्हें  हमने,
उन्हें मिली ख़ुशी तो,
बस हमे ग़मगीन करके जाने में..

हर एक अश्क का कतरा छीन लिया,
जिनकी  आँखों से, उन्हें दर्द भी न हुआ ,
मुझे रोता छोड़ जाने में ..

साथ दिया जिनका हर लम्हे पर,
 एक भूल क्या की, उन्हें तरस भी न आया,
हमें अकेला कर जाने में ..

अब तो डरते है हम, किसी को भी अपना बनाने में,
 क्यूंकि एक लम्हा भी नहीं लगता किसी को.
मुझे पराया कर जाने में....

अहसास नहीं होता ,,,,,,,,

वो क्या जाने वादों की अहमियत,
जिन्हे वादे तोड़ देने का,  अहसास भी नहीं होता..

क्या समझेंगे, मेरे अश्को की कीमत वो,
जिन्हें मेरी तड़पती आँखों का, अहसास ही नहीं होता..

जख्म दिल के दिखाए भी मैंने,  तो किसे,
जिन्हें मेरे दर्द ऐ दिल का, अहसास ही नहीं होता..

तन्हाई में जले भी तो, उनकी ही यादों के चिराग,
जिन्हें मेरी वीरानियो का, अहसास नहीं होता.....





13 January, 2012

आखिरी अहसास............

जिन-जिन से मिले आज हम,
उनसे ये मुलाक़ात, आखिरी मुलाक़ात न हो जाये.

जिन-जिन से हुए मुखातिब आज हम,
 उनसे की बात, आज आखिरी बात न हो जाये ,

जिन-जिन से निगाहें मिलाई आज हमने,
उनका दीदार आज आखिरी दीदार न हो जाये,

लगता हैं,
आज जो सोये हम,
कही ये नींद भी आज आखिरी नींद न हो जाये ..

.  

10 January, 2012

निभा कर देखे अब रफाकत

हर  ताल्लुकात निभा  कर देखा,  


बस बेवफाई  ही  मयस्सर   हुई  है ...




चलो  निभा  कर  देखे,  अब  रफाकत  ..


के   वफ़ा  की  खुशबु, बस  इन्ही  ताल्लुकातों  में  बची  हैं .