तन्हा हूँ राहो पर एक काफिले की तलाश है
गैर भी मिले अपने बनकर,
मिले कोई अपना भी इस तरह,, ऐसे किसी अपने की तलाश है
गमो ने दी काफी मुस्कुराहटें,
ला दे जो अश्क ,ऐसी एक ख़ुशी की तलाश है
हर टूटे ख्वाब ने राहों पर लड़खड़ाने मजबूर किया,
पूरा होकर संभाले ऐसे किसी ख्वाब की तलाश है
जीते जी तो कई ने मार डाला,
मरते वक़्त पर सांस दे, ऐसे किसी दमसाज़ (दोस्त) की तलाश है ,
ज़माने को तो पहचाना खूब,
खुद को पहचान सकू जिस वक़्त,
उस लम्हे की तलाश है ..
A.R.Nema12/06/2011