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21 January, 2012

आँख भर आयी .......

बरसों पहले इक यार  को जाते देखा था,
जमाने से,

आँख मेरी भर आयी थी,
लबों को चीरकर एक चींख बाहर आयी थी,

दिल ने बड़ी गहरी चोट खायी थी, 
उस अपने को खोकर ताउम्र तड़पने की सजा मैंने पायी थी...

फिर आँखों ने देखे यूँ नज़ारे तो कई..

पर आज! 
इक अनजान को रुखसत होते देख,
 ना जाने क्यों ?
फिर आँख भर आई थी 






17 January, 2012

वो सपने देखना गुनाह था........

वो सपने देखना गुनाह था शायद,
के अब तक सजा पा रहा हूँ  ,


बहुत तलब थी, महफ़िलों की,
अब तो बस वीरानो के शौक फरमा रहा हूँ


मेरा मुक़द्दर , हुआ बरहम (नाराज) मुझसे ,
के अब तक मना रहा हूँ,

टूटे ख्वाब, शीशे की सूरत चुभे कभी आँखों में,
के अब तक खून के कतरे  बहा रहा हूँ ,

जिस्म पर गम,
 गुबार ऐ रहगुजर (रास्ते की धूल ) की तरह हुआ काबिज़,
के अब तक हटा रहा हूँ,

आग ऐ दोजख(नरक की आग) सी हुई ज़िन्दगी मेरी,
के अब तो बस कुछ हसरतों का बहाना लिए जले जा रहा हूँ.....

हमसफ़र नहीं मिलता,...

दुस्वरियो के सफ़र में,
 कोई भी हमसफ़र नहीं मिलता,

हर लम्हा भीगती है पलके,
पर अश्क पोछने को एक हाथ भी नहीं मिलता,

टूटकर बिखरता है ,
ये जिस्म हर कदम पर,
लेकिन आराम की खातिर एक दरख़्त भी नहीं मिलता,

जख्म तो है हर कदम पर यहाँ,
पर दे जो मलहम, ऐसा कोई भी नहीं मिलता ,

हर शाम तन्हा और शब् तो काली है,
लेकिन यहाँ खुबसूरत सवेरा नहीं मिलता,

ऐसी, ये हयात के गम तो है,
मगर जब तक चलती है साँस,
यहाँ ख़ुशी का एक कतरा भी नहीं मिलता.!!

एक लम्हा भी नहीं लगता,,,,

एक  जमाना  बीता, हर किसी को मनाने में,
पर हर किसी को सुकून मिला तो,
सिर्फ मुझसे रूठ  जाने में..

ख़ुशी देनी चाही जिन्हें  हमने,
उन्हें मिली ख़ुशी तो,
बस हमे ग़मगीन करके जाने में..

हर एक अश्क का कतरा छीन लिया,
जिनकी  आँखों से, उन्हें दर्द भी न हुआ ,
मुझे रोता छोड़ जाने में ..

साथ दिया जिनका हर लम्हे पर,
 एक भूल क्या की, उन्हें तरस भी न आया,
हमें अकेला कर जाने में ..

अब तो डरते है हम, किसी को भी अपना बनाने में,
 क्यूंकि एक लम्हा भी नहीं लगता किसी को.
मुझे पराया कर जाने में....

अहसास नहीं होता ,,,,,,,,

वो क्या जाने वादों की अहमियत,
जिन्हे वादे तोड़ देने का,  अहसास भी नहीं होता..

क्या समझेंगे, मेरे अश्को की कीमत वो,
जिन्हें मेरी तड़पती आँखों का, अहसास ही नहीं होता..

जख्म दिल के दिखाए भी मैंने,  तो किसे,
जिन्हें मेरे दर्द ऐ दिल का, अहसास ही नहीं होता..

तन्हाई में जले भी तो, उनकी ही यादों के चिराग,
जिन्हें मेरी वीरानियो का, अहसास नहीं होता.....