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04 January, 2012

मेरी बज़्म याद आएगी.......

मेरे रुखसत होते ही,
ज़माने को मेरी कमी महसूस हो जाएगी ,

यादे जब भी करेगी परेशान,
आँखों को दीदा ऐ तार कर जाएगी,

जब चाहोगे के, कोई मनाये,
अपने रूठने की , वो अदा तडपायेगी,

शब् ऐ फुरक़त में जब जलोगे तन्हा,
मेरी बज़्म याद आएगी..

खारों की नोंक से मलहम लगते है ..

ये अहबाब भी,
क्या खूब दोस्ती निभाते है,

गुलशन के ख्वाब दिखा,
ज़िन्दगी को वीरान कर  जाते है,

ज़ख्म देकर नहीं मिलता सुकून जब,
तो  खारों की नोंक से मलहम लगाते  है ..

अपनों के ही सताए हुए है,

क्या करे गेरों से गिला ,
हम तो अपनों के ही सताए हुए है,


क्या करे उम्मीद,
 अब साहिल पर आने की, जब अपनों के ही डुबाये हुए है,


कैसे करे ऐतबार? के जमाना करेगा बावफाई,
जब अपनों से ही धोखा खाए  हुए है,


हो जायेंगे जलकर राख,
पर  ना कहेंगे,  के  अब बारिश कर,
जब अपनों के ही जलाये हुए है,


क्यों कहु? के पोंछ दो ये अश्क मेरे,
जब ये अपनों के ही तोहफे मे आये हुए है,


तन्हा कट ही जायेगा, ये सफ़र ज़िन्दगी का,
क्या मांगू अब साथ किसी का, 
जब ये वीराने अपनों के ही सजाये हुए है,






 .

ऐ यारों हमदर्दी क्यों.??

ना रोको,
मेरी चश्म से छलकते,
इस दरिया ऐ अश्क को,


ऐ  यारों हमदर्दी  क्यों.??


आखिर ये अंजाम है तो,
तुम्हारी ही बारिश ऐ सितम का..

किताब का वो इक पन्ना

किताब का वो इक पन्ना ,
भीगने की  हसरत लिए,
 आज फिर मेरी आँखों तले आया है,

अँधेरी रात मे, कराने दीदार अपना ,
यादो के चिराग भी साथ ले आया है,

कुछ इबारते शरारतों में भीगी,
के कुछ गम में डूबी , 
कहु के , सितम ढाने के सामान साथ ले आया है,


भीगते भीगते, बह न जाए तहरीर कही के,
साथ अपने वो छतरी  ले आया है..